
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में स्थित कतर्नियाघाट वन्य जीव विहार के मुर्तिहा रेंज में स्थित प्राचीन लक्कड़ शाह दरगाह को लेकर विवाद गहरा गया है। हाल ही में, प्रभागीय वनाधिकारी बी शिवशंकर ने 5 जून 2025 को इस धार्मिक स्थल पर बेदखली का आदेश जारी किया। यह आदेश माननीय उच्च न्यायालय लखनऊ की खंडपीठ द्वारा दिए गए निर्देशों की स्पष्ट अवहेलना है, जिसमें कहा गया था कि दरगाह कमेटी की आपत्तियों का निस्तारण किए बिना कोई अग्रिम कार्यवाही नहीं की जाएगी।
रविंद्र गौतम ने CM योगी की ज़िंदगी को बनाया सिनेमा का हीरो, देखें ट्रेलर
हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना
दरगाह कमेटी के सेक्रेट्री इसरार अहमद इदरीसी ने बताया कि उच्च न्यायालय ने याचिका संख्या WRIC 4607/2025 में स्पष्ट आदेश दिया था कि कमेटी की आपत्तियों का निस्तारण किए बिना कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी। इसके बावजूद, डीएफओ ने बिना क्षेत्राधिकार और बिना उचित प्रक्रिया के बेदखली का आदेश पारित किया।
वक्फ अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
वक्फ अधिनियम 1995 के तहत, किसी भी वक्फ संपत्ति की बेदखली के लिए संबंधित वक्फ बोर्ड की अनुमति आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, हाल ही में वक्फ अधिनियम में संशोधन के संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय में याचिका लंबित है, जिसमें भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि किसी भी पंजीकृत वक्फ का प्रकार नहीं बदला जाएगा और न ही उसकी अधिसूचना को रद्द किया जाएगा।
दरगाह कमेटी की प्रतिक्रिया
दरगाह कमेटी ने डीएफओ के बेदखली आदेश को माननीय उच्च न्यायालय लखनऊ में चुनौती देने का निर्णय लिया है। इसके लिए “अवकाश बेंच” में त्वरित सुनवाई के संबंध में प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कमेटी के अधिवक्ता सैयद अकरम आजाद, सैय्यद फारूक अहमद और विनोद यादव ने डीएफओ की कार्रवाई को वक्फ अधिनियम का उल्लंघन, वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर हालिया सुनवाई के दौरान दिए गए निर्देशों के क्रम में सुप्रीम कोर्ट की अवमानना और विधि विरुद्ध बताया है।
धार्मिक सद्भाव और ऐतिहासिक महत्व
लक्कड़ शाह दरगाह हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है और इसकी स्थापना के समय से ही यह दोनों समुदायों के बीच भाईचारे और सद्भाव का उदाहरण रही है। इसकी प्राचीनता का प्रमाण ब्रिटिश गजट सन 1903 में भी मिलता है। वर्तमान में, दरगाह कमेटी के अध्यक्ष रईस अहमद की अध्यक्षता में एक आपात बैठक हुई, जिसमें डीएफओ द्वारा जारी किए गए बेदखली आदेश को माननीय उच्च न्यायालय लखनऊ में चुनौती दिए जाने पर सर्वसम्मति से फैसला लिया गया।
आगामी कदम और कानूनी प्रक्रिया
दरगाह कमेटी ने डीएफओ के बेदखली आदेश के खिलाफ पुनः माननीय उच्च न्यायालय लखनऊ का रुख करने का निर्णय लिया है। इसके लिए “अवकाश बेंच” में त्वरित सुनवाई के संबंध में प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कमेटी के अधिवक्ता सैयद अकरम आजाद, सैय्यद फारूक अहमद और विनोद यादव ने डीएफओ की कार्रवाई को वक्फ अधिनियम का उल्लंघन, वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर हालिया सुनवाई के दौरान दिए गए निर्देशों के क्रम में सुप्रीम कोर्ट की अवमानना और विधि विरुद्ध बताया है।
यह मामला न केवल एक धार्मिक स्थल की कानूनी स्थिति से जुड़ा है, बल्कि यह धार्मिक सद्भाव, ऐतिहासिक धरोहर और न्यायपालिका की भूमिका पर भी महत्वपूर्ण प्रश्न उठाता है। दरगाह कमेटी की ओर से उठाए गए कदम यह दर्शाते हैं कि वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए संघर्ष कर रहे हैं।